Chardham Yatra चार धाम यात्रा
A Complete Guide to CharDham Yatra
- Chardham Of Uttarakhand उत्तराखंड के चार धाम
- What is Chota Chardham Yatra ? छोटा चारधाम यात्रा क्या है ?
- Importance of char dham Yatra in Hindi चार धाम यात्रा का महत्व
- How to Reach Chardham ? कैसे पहुंचे चार धाम ?
- Best Time to Visit Chardham Yatra चारधाम यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय
- The Opening and Closing Date of Chardham Yatra in 2021 चार धाम यात्रा खुलने और बंध करने की तिथि 2021
Chardham Of Uttarakhand उत्तराखंड के चार धाम :
चार धाम, शाब्दिक रूप से हिन्दू धर्म के देवी देवता ओ के ‘चार निवास स्थान’ है, जो हिमालय की गोद में, देवो की भूमि उत्तराखंड में स्थित है। उत्तराखंड के चार धाम में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम हैं।
इन चार स्थलों में से प्रत्येक एक विशिष्ट देवी देवताओ को समर्पित है। यमुनोत्री देवी यमुना को समर्पित है। गंगोत्री देवी गंगा को समर्पित है। केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित है।
What is Chota Chardham Yatra ? छोटा चारधाम यात्रा क्या है ?
चारधाम यात्रा का प्रारंभ हरिद्वार से होता है, जहाँ से तीर्थयात्री चार पवित्र तीर्थों की यात्रा शुरू करते हैं। परंपरागत रूप से, चारधाम यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। तीर्थयात्री पारंपरिक रूप से पहले यमुनोत्री और गंगोत्री जाते हैं और अपने साथ यमुनाजी और गंगाजी नदियों के पवित्र जल को लाते हैं और केदारेश्वर में अभिषेक करते हैं। केदारनाथ में अभिषेक करने के बाद बद्रीनाथ में दर्शन करते है। उत्तराखंड के चार धामों को भारत का छोटा चार धाम भी कहा जाता है।
Importance of Char Dham Yatra in Hindi चारधाम यात्रा का महत्त्व
चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवन में कम से कम एक बार इन चार धाम यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार पर ले जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा पूर्ण करता है, तो वह तन, मन और धन की पूर्ण शांति प्राप्त कर लेता है।
इन चार मंदिरों में से प्रत्येक का अपना अलग महत्व है।
यमुनोत्री धाम :
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना यमराज की बहन हैं, उन्होंने भाई दूज पर उनसे वादा किया था कि जो भी इस दिन नदी में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं ले जाया जाएगा। इस तरह उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।
गंगोत्री धाम :
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री राम के वंशज राजा भागीरथ ने अपने पितृ ओ के मोक्ष के लिए शिवजी की कठिन तपस्या करके गंगा को धरती पर लाने का काम किया। यही कारण की वजह से गंगा को भागीरथी भी कहा जाता हे।
केदारनाथ धाम :
केदारनाथ धाम न केवल चारधाम यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है, बल्कि इस प्राचीन मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडव महाभारत का युद्ध जितने के पश्चात उनको उनके भाई ओ की हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति के लिए वे केदारनाथ में भगवान् शिव के पास गए और भगवन शिव ने उनके समस्त पापो से उनको मुक्ति दिलाई।
बद्रीनाथ धाम :
बद्रीनाथ धाम को चारधाम यात्रा में सबसे पवित्र माना जाता है। यह तीर्थ वैष्णवों के 108 तीर्थ में से एक है। यह अलकनंदा नदी के बाएं किनारे पर स्थित है, जिन्हें दिव्य हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का रक्षक और संरक्षक माना जाता है। यह वह स्थान है जहाँ आदि शंकराचार्य ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस प्रकार, पुनर्जन्म की प्रक्रिया से आप मुक्त हो सकते हो।
How to Reach Chardham ? कैसे पहुंचे चार धाम ?
चार धाम यात्रा दिल्ली या हरिद्वार से सुरु होती है। और हरिद्वार में समाप्त होती है। आप देश के किसी भी राज्य से दिल्ही या हरिद्वार आ सकते है। यहाँ आप By Air( हवाई मार्ग ), By Rail ( रेलवे ), या By Road ( सड़क मार्ग ) से आ सकते हो।
By Air
हरिद्वार से 37 किमी दूर देहरादून में Jolly Grant Airport है, जबकि Delhi में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय Airport 223 किमी दूर है। आप इन दो Airport से बस, टैक्सी या ट्रेन के जरिए हरिद्वार पहुंच सकते हैं।
By Railway
देश के सभी राज्यों और शहरो से रेल सेवा जुडी हुई है। यदि आप रेल यात्रा पसंद करते हैं, तो आप हरिद्वार या देहरादून तक ट्रेन ले सकते हैं, और फिर आगे की यात्रा के लिए बस या टैक्सी पकड़ सकते हैं। देहरादून/हरिद्वार से चारधाम के लिए सार्वजनिक परिवहन बसें भी उपलब्ध हैं। यह Northern Railway Zone के अंतर्गत आता है और यह भारत के प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों से जुड़ा हुआ है, जैसे कि अहमदाबाद, राजस्थान, दिल्ली, शिमला, मुंबई, त्रिवेंद्रम, आदि। आप देश के सभी राज्यों और शहरो से हरिद्वार/देहरादून आ सकते हो।
By Road
हरिद्वार भारत के कई शहरों से कई राजमार्गों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। NH 58, हरिद्वार से होकर गुजरता है, जो इसे दिल्ली, मुज़फ़्फ़रनगर, रुड़की, गाजियाबाद, मेरठ और बद्रीनाथ से जोड़ता है। हरिद्वार से निकलने वाला NH 74 काशीपुर, सितारगंज, नगीना, नजीबाबाद और बरेली को जोड़ता है।विभिन्न सार्वजनिक और निजी बसें इन मार्गों से होकर जाती हैं। आप ऐसे कई विकल्पों को चयन कर सकते हैं।
Best Time To Visit Chardham Yatra : चारधाम यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय
उत्तराखंड में पवित्र चार धाम यात्रा के लिए जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक है। इन महीनों को सबसे अच्छा समय माना जाता है क्योंकि तापमान 7 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है और आपको मार्ग में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। देवी – देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए इन स्थानों पर भारी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।
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Summer | अप्रैल से जून | 7°c – 20°c |
Monsoon | जुलाई से सप्टे. | 6°c – 15°c |
Winter | ऑक्टो. से मार्च | 2°c – 14°c |
उत्तराखंड के ये चार पवित्र मंदिर वर्ष के दौरान केवल सीमित समय के लिए खुलते हैं। Oct. से March के महीनो में सर्दियों के कारण भारी बर्फबारी की वजह से, इस क्षेत्र में कोई पहुंच नहीं सकता और देवी – देवताओं की मूर्तियों को विभिन्न स्थानों में मंदिरों में स्थानांतरित कर दिया जाता है। चार धाम यात्रा उत्तराखंड में हर साल May में शुरू होती है और Octomber तक खुली रहती है। यदि आप एक बार में सभी चार मंदिरों की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको इन महीनों में यात्रा की योजना बनानी चाहिए।
The Opening and Closing Date of chardham yatra in 2021
एक बार जब आप उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पूरी कर लेते हैं, तो आप धन्य, कृतज्ञता और अनंत आनंद महसूस करेंगे। अपने माता-पिता के साथ चार धाम की यात्रा की योजना बनाएं या यदि आप अपने लिए आध्यात्मिक जागृति चाहते हैं तो यह अंतिम यात्रा है जो हर किसी को अपने जीवनकाल में एक बार जरूर करनी चाहिए।
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