gangotri temple

History Of Gangotri Dham गंगोत्री धाम का इतिहास

History Of Gangotri Dham गंगोत्री धाम का इतिहास

गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। “ गंगोत्री धाम ” भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। उत्तरकाशी से 100 किमी,  ऋषिकेश से 267 किमी और हरिद्वार से 286 किमी और  यमनोत्री  से 227 किमी सड़क मार्ग से जुड़ा है। समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह पवित्र एवं उत्कृष्ठ मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फीट ऊंचे पत्थरों से निर्मित है। यह मंदिर चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है।

gangotri temple
©https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Gangotri_temple.jpg#/media/File:Gangotri_temple.jpg

 

गंगोत्री मंदिर हिन्दुओ का एक पवित्र तीर्थ स्थान है। गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है| गंगा को  भागीरथी  भी  कहा  जाता  हे। 

गौमुख : 

गंगा एवं भागीरथी नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री से 19 किमी दूर 3892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर  हे। लगभग 25 किमी लंबा, 4 किमी चौड़ा तथा 40 मीटर ऊंचा गौमुख अपने आप में एक परिपूर्ण माप है। ऐस माना जाता हे कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। गंगोत्री से यहां तक की दूरी पैदल या फिर ट्ट्टुओं पर सवार होकर पूरी की जाती है।

gaumukh
©By Barry Silver from Tokyo – Gangotri/Gaumukh, CC BY 2.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=34993758

 

गंगोत्री मंदिर का निर्माण :

गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था। वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था।

भागीरथी और गंगा का धरती पर आगमन ( Bhagirath And Ganga Story In हिंदी )

कैसे हुवा भागीरथी और गंगा का धरती पर आगमन : ये कथा सतयुग काल की है। जब एक बड़े ही प्रतापी राजा सगर थे। राजा सागर के 60000 पुत्र थे। उनके सभी पुत्र बडे ही बलशाली और वीर योद्धा थे। राजा सगर ने धरती पर राक्षसों को मारने के बाद एक अश्वमेघ यज्ञ का अयोजन किया आश्वमेघ यज्ञ राजनीती यज्ञ होता था। जिसे वही सम्राट कर सकता था जिसका अधिपत्य अन्य राजा मानते थे। राजा सगर के इस अश्वमेघ यज्ञ से देवराज इन्द्र खुश नहीं थे। इन्द्र को डर था की अगर अश्वमेघ यज्ञ सफल हो गया तो धरती पर उनका आधिपत्य कम हो जायेगा। यज्ञ से भयभीत होकर देवराज इन्द्र यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिलमुनि के आश्रम में जाकर  बांध दिया जब राजा सगर के पुत्र यज्ञ के घोड़े को खोजते खोजते कपिल मुनि के आश्रम में आ पहुँचे तब अश्वमेघ का घोडा बंधा देखा तो वे क्रोधित हो कर मुनि को अपशब्द बोलने लगे इस लिए मुनि का ध्यान भंग हो गया इस लिए मुनि ने क्रोधित होकर उनकी ओर दृष्टिपात किया और राजा सागर के 60000 पुत्रो जलाकर राख कर दिया।

उसके बाद उनके पौत्र अंशुमान ने जाकर ऋषि से प्रार्थना की और मुक्ति का उपाय पुछा अंशुमान के प्राथना से कपिल मुनि ने उनको गंगा से मुक्ति का मार्ग बताया और कहा गंगा में स्नान करके तुम अपने पूर्वजों द्वारा किये गये पापों का पश्चाताप कर सकते हो। गंगा को स्वर्ग लोक से धरती पर लाने के लिए अंशुमान ने तपस्या कि लेकिन गंगा को धरती पर लाने में वे सफल नहीं रहे। बाद में अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी कई वर्षो तक तपस्या की लेकिन वे भी स्वर्ग लोक से गंगा को लाने में असफल रहे। 

bhagirati river
©https://www.hindisahityadarpan.in

उसके बाद उनके पुत्र भगीरथ ने शिवजी की कठिन तपस्या करके गंगा को धरती पर लाने का काम किया। जो की भगीरथी के प्रयास से ही गंगा धरती पर आई इस लिए उनको उनकी बेटी माना जाता हे और यही कारण की वजह से गंगा को भागीरथी भी कहा जाता हे। इस तरह से भगीरथ के अथाग प्रयास से राजा सगर के पुत्रों का उद्धार तो हुवा ही साथ ही आज सम्पूर्ण जिव जगत को गंगा जीवन दे रही है.

ganga river india
©https://www.britannica.com/

ऐसी पतित पावनी माँ गंगा को कोटि कोटि प्रणाम

प्रत्येक वर्ष May से Octomber के महीनो के बीच पवित्र गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।क्योकि भारी बर्फबारी की वजह से सर्दियों के दौरान यह मंदिर बंद रहता है।

इस के साथ ही जय हो गंगा मैया की,  हर हर गंगे!!

निष्कर्ष

हमने History of Gangotri Dham के बारे में लगभग सब कुछ बता दिया हे। फिर भी कोई कमी या खामी रह गई हो या कुछ अधूरा हो तो उसके लिए क्षमा चाहता हूँ। क्यूंकि लोक कथाये हमारी बहुत ही विस्तार से होती है फिर भी आप हमें Comment करके बता सकते है।

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